मेवाड के महाराणा प्रताप के शौर्य पराक्रम का यशोगान मेवाड ही नही वरन सम्पूर्ण देश-विदेश तक पहुंचे,इसके लिए कोई सार्थक पहल की जाए।उन्होने यह प्रस्ताव संघ के वरिष्ठ अधिकारियो के समक्ष रखा जिसके फलस्वरूप उदयपुर मे वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति का गठन किया गया।प्रारंभ मे इतिहासविदो के साथ चर्चा कर महाराणा प्रताप के जीवन,इतिहास की सटिक जानकारी एवं हल्दीघाटी युद्ध मे महाराणा प्रताप की विजयी हुए जैसे विषय को इंगित करते हुए एक केन्द्र खडा करने का निर्णय किया गया जिसके परिणामस्वरूप प्रताप गौरव केंद्र बनना तय हुआ।प्रारंभ काल मे संघ के स्वयंसेवको के प्रयत्न से राजस्थान मे निधि संग्रह अभियान चलाकर राशि संग्रहण का कार्य प्रारंभ किया गया।शनैः शनैः समाज का सहयोग मिलता गया।18 अगस्त 2008 को शिलान्यास किया गया तत्पश्चात प्रताप गौरव केंद्र के निर्माण को गति मिलती गई और आज यह राष्ट्रीय तीर्थ के रूप मे हमारे समक्ष खडा है।